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Paramparik Bhartiya Vastra by Dr. Parul Bhatnagar (H.B)


टेक्सटाइल एंव कॉस्ट्यूम के कुछ नमूने जो बार-बार प्रयोग होते है, इस बात पर प्रकाश डालते है कि किस प्रकार डिजाइन एंव स्आइल खुद को दोहराते है । इतिहास में सभी फेशन एक निश्चित समय पर उत्पन्न हुये। लोग | अपने कपड़ो और घर की फर्नीशिंग के डिजाइन व रंगो के द्वारा दर्शाते है कि वह | डिजाइन किस समय व सीन से संबधित है। पुराने नमूनो और स्आइल को बदलकर ही डिजाइन में परिवर्तन लाया जाता है।

टेक्सटाइल एंव कॉस्ट्यूम पुराने समय से ही चले आ रहे है और पांरपरिक डिजाइन व चिह्नो से संबधित है। बार – बार बनाये जाने पर पर भी शताब्दियो से इस मूलभूत कला ने अपना आकार एंव कलात्मकता को बनाये रखा है। अन्य कलाओ की तरह पांरपरिक वस्त्रों का भूतकाल वर्तमान से जुड़ा है । शताब्दियो से कारीगर की कुशलता को डिजाइन | बनाने या उसमे बदलाव लाने के लिये प्रयोग किया जा रहा, इसलिये दस्तावेजो | दस्तावेजो का भार डिज़ाइन सेन्टर और म्यूज़ियम पर आ गया है।

 

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