Hindi Literature
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Aankh Ki Kirkiri By Rabindranth Tagore (Hardcover)
रवीन्द्रनाथ टैगोर के सुप्रसिद्ध उपन्यास ‘चोखेर बालि’ का हिन्दी अनुवाद है – ‘आंख की किरकिरी’ । इस उपन्यास की गिनती रवीन्द्रनाथ टैगोर की – उत्कृष्ट रचनाओं में होती है। यद्यपि रवीन्द्रनाथ के लिखे ऐसे अनेक उपन्यास हैं जो ‘चोखेर बालि’ से अधिक विख्यात हैं, परंतु इस उपन्यास के पात्रों में जो विविधता और गहराई है, वह अन्य उपन्यासों के पात्रों में देखने को नहीं मिलती। उपन्यास का प्रत्येक पात्र पाठक को अंत तक बांधे रखता है। साथ ही संदेश देता है प्रेम, धैर्य एवं त्याग का ।
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Archana By Suryakant Tripathi (Hardcover)
‘अर्चना’ निराला की परवर्ती काव्य-चरण की प्रथम कृति है ! इसके प्रकाशन के बाद कुछ आलोचकों ने इसमें उनका प्रत्यावर्तन देखा था! लेकिन सच्चाई यह है कि जैसे ‘बेला’ के गीत अपनी धज में ‘गीतिका’ के गीतों से भिन्न हैं, वैसे ही ‘अर्चन’ के गीत भी ‘गीतिका’ ही नहीं, ‘बेला’ के गीतों से भिन्न हैं!
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Hindi Literature, Religion & Philosophy
Brahaman Sanskriti,Shaastr Aur Shastr : Raghuvansh Rai
isbn : 978-81-8247-348-5
‘Brahman :sanskriti -shaatr aur shastr is based upon hindu culture,hindu religion and thoughts of some great personalities .This book is also based upon study of other religions like islam amd christian .this book can be used as reference book for any relegious based research work.
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Hindi Literature
Dhruvswamini (Natak) by Jaishankar Prasad (H.B)
ध्रुवस्वामिनी जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित प्रसिद्ध हिन्दी नाटक है। यह प्रसाद की अंतिम और श्रेष्ठ नाट्य-कृति है। इसका कथानक गुप्तकाल से सम्बद्ध और शोध द्वारा इतिहाससम्मत है। यह नाटक इतिहास की प्राचीनता में वर्तमान काल की समस्या को प्रस्तुत करता है। प्रसाद ने इतिहास को अपनी नाट्याभिव्यक्ति का माध्यम बनाकर शाश्वत मानव जीवन का स्वरूप दिखाया है, युग-समस्याओं के हल दिए हैं, वर्तमान के धुंधलके में एक ज्योति दी है, राष्ट्रीयता के साथ-साथ विश्व-प्रेम का सन्देश दिया है। इसलिए उन्होंने इतिहास में कल्पना का संयोजन कर इतिहास की वर्तमान से जोड़ने का प्रयास किया है। रंगमंच की दृष्टि से तीन अंकों का यह नाटक प्रसाद का सर्वोत्तम नाटक है। इसके पात्रों की संख्या सीमित है। इसके संवाद भी पात्रा अनुकूल और लघु हैं। भाषा पात्रों की भाषा के अनुकूल है। मसलन ध्रुवस्वामिनी की भाषा में वीरांगना की ओजस्विता है। इस नाटक में अनेक स्थलों पर अर्थवाक्यों की योजना है जो नाटक में सौंदर्य और गहरे अर्थ की सृष्टि करती है।
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Geetika By Suryakant Tripathi (Hardcover)
गीतिका का प्रकाशन-काल सन् 1936 ई. है। इसमें सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ के नये स्वर- तालयुक्त शास्त्रानुमोदित गीत संगृहित हैं। खड़ी बोली में इस प्रकार के प्रथम गीत- रचनाकार जयशंकर प्रसाद हैं। उनके नाटकों के अंतर्गत जिन गीतों की सृष्टि हुई है, वे सर्वथा शास्त्रानुमोदित हैं किंतु ये गीत विशेष वातावरण में उनके पात्रों द्वारा गाये जाते है। ये गीत पात्र तथा वातावरण सापेक्ष हैं। शास्त्रानुमोदित निरपेक्ष गीतों की सर्जना का श्रेय ‘निराला’ को ही है। शास्त्रानुमोदित का तात्पर्य यह नहीं कि ये गीत भी पुरानी राग- रागनियों के बंधनों से बँधे हुए हैं।
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Jaishankar Prasad ki Rachnaye (H.B)
महाकवि कथाकार नाटककार जयशंकर प्रसाद को कौन नहीं जानता। कक्षा पांचवी से लेकर 12वीं तक ग्रेजुएशन से लेकर पोस्ट ग्रेजुएशन तक हिंदी साहित्य में जयशंकर प्रसाद की रचनाएं देखने को मिलती हैं। जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय और रचनाएं ना केवल पढ़ने में सरल और सुलभ होती है बल्कि हमें यथार्थ ज्ञान और प्रेरणा भी देती है। छायावाद के कवि जयशंकर प्रसाद रचना को अपनी साधना समझते थे। वह उपन्यास को ऐसे लिखते थे मानो जैसे वह उसे पूजते हो। जयशंकर प्रसाद जी के बारे में अभी बातें खत्म नहीं हुई है उनकी कई सारी कविताएं कहानियां है जो आपको यथार्थ का भाव कराएंगी।
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