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Fiction, Novel
Ramcharcha By Munshi Premchand (Hardcover)
प्रेमचंद (प्रेमचन्द) के साहित्यिक जीवन का आरंभ (आरम्भ) 1901 से हो चुका था आरंभ (आरम्भ) में वे नवाब राय के नाम से उर्दू में लिखते थे। प्रेमचंद की पहली रचना के संबंध में रामविलास शर्मा लिखते हैं कि- “प्रेमचंद की पहली रचना, जो अप्रकाशित ही रही, शायद उनका वह नाटक था जो उन्होंने अपने मामा जी के प्रेम और उस प्रेम के फलस्वरूप चमारों द्वारा उनकी पिटाई पर लिखा था। इसका जिक्र उन्होंने ‘पहली रचना’ नाम के अपने लेख में किया है। “उनका पहला उपलब्ध लेखन उर्दू उपन्यास ‘असरारे मआबिद’ है जो धारावाहिक रूप में प्रकाशित हुआ। इसका हिंदी रूपांतरण देवस्थान रहस्य नाम से हुआ। प्रेमचंद का दूसरा उपन्यास ‘हमखुर्मा व हमसवाब’ है जिसका हिंदी रूपांतरण ‘प्रेमा’ नाम से १९०७ में प्रकाशित हुआ। १९०८ ई. में उनका पहला कहानी संग्रह सोज़े-वतन प्रकाशित हुआ। देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत इस संग्रह को अंग्रेज़ सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया और इसकी सभी प्रतियाँ जब्त कर लीं और इसके लेखक नवाब राय को भविष्य में लेखन न करने की चेतावनी दी। इसके कारण उन्हें नाम बदलकर प्रेमचंद के नाम से लिखना पड़ा। उनका यह नाम दयानारायन निगम ने रखा था। ‘प्रेमचंद’ नाम से उनकी पहली कहानी बड़े घर की बेटी ज़माना पत्रिका के दिसम्बर १९१० के अंक में प्रकाशित हुई।
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Fiction, Novel
Rangbhoomi By Munshi Premchand (Hardcover)
Premchand was born on 31 July 1880 in a Kayastha family in Lamahi village of Varanasi district (Uttar Pradesh). His mother’s name was Anandi Devi and father’s name was Munshi Ajaybrai, who was a postman in Lamhi. His real name was Dhanpat Rai Srivastava. Premchand (Premchand) had his early education in Persian. In relation to Premchand’s parents, Ramvilas Sharma writes that- “When he was seven years old, his mother died. He was married when he was fifteen and his father died when he was sixteen years old. also passed away.”During the non-cooperation movement in 1921, on the call of Mahatma Gandhi to leave the government job, he resigned from the post of school inspector on 23rd June. After this he made writing his profession. He worked as an editor in magazines like Maryada, Madhuri etc. In the meantime, he along with Pravasilal also bought Saraswati Press and brought out Hans and Jagran. The press did not prove commercially profitable for him. In 1933, he accepted Mohanlal Bhavnani’s offer to work as a story writer in the Cinetone Company to settle his debts. Premchand did not like the film city. He could not complete even one year’s contract and left two months’ salary and returned to Banaras. His health continued to deteriorate. He died on 8 October 1936 after a long illness.SKU: n/a -
Novel
Pratigaya By Munshi Prem Chand (Hardcover)
The novel ‘Pratigya’ is a live depiction of the compulsions and destiny of an Indian woman living suffocating in adverse circumstances. Widower Amritrai, the hero of ‘Pratigya’, wants to marry a widow so that the life of a young woman is not destroyed. Poorna the heroin is an unsupported widow. The hungry wolves of the society want to destroy its accumulation. In the novel, Premchand has presented the widow problem in a new form and has also suggested an alternative.
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Fiction, Novel
Durgadas By Munshi Premchand (Hardcover)
जोधपुर के महाराज जसवन्तसिंह की सेना में आशकरण नाम के एक राजपूत सेनापति थे, बड़े सच्चे, वीर, शीलवान् और परमार्थी। उनकी बहादुरी की इतनी धाक थी, कि दुश्मन उनके नाम से कांपते थे। दोनों दयावान् ऐसे थे कि मारवाड़ में कोई अनाथ न था।, जो उनके दरबार से निराश लौटे। जसवन्तसिंह भी उनका :बड़ा आदर-सत्कार करते थे। वीर दुर्गादास उन्हीं के लड़के थे। छोटे का नाम जसकरण था। सन् 1605 ई., में आशकरण जी उज्जैन की लड़ाई में धोखे से मारे गये। उस समय दुर्गादास केवल पंद्रह वर्ष के थे पर ऐसे होनहार थे, कि जसवन्तसिंह अपने बड़े बेटे पृथ्वीसिंह की तरह इन्हें भी प्यार करने लगे। कुछ दिनों बाद जब महाराज दक्खिन की सूबेदारी पर गये, तो पृथ्वीसिंह को राज्य का भार सौंपा और वीर दुर्गादास को सेनापति बनाकर अपने साथ कर लिया। उस समय दक्खिन में महाराज शिवाजी का साम्राज्य था। मुगलों की उनके सामने एक न चलती थी; इसलिए औरंगजेब ने जसवन्तसिंह को भेजा था। जसवन्तसिंह के पहुंचते ही मार-काट बन्द हो गई। धीरे-धीरे शिवाजी और जसवन्तसिंह में मेल-जोल हो गया। औरंगजेब की इच्छा तो थी कि शिवाजी को परास्त किया जाये। यह इरादा पूरा न हुआ, तो उसने जसवन्तसिंह को वहां से हटा दिया, और कुछ दिनों उन्हें लाहौर में रखकर फिर काबुल भेज दिया। काबुल के मुसलमान इतनी आसानी से दबने वाले नहीं थे। भीषण संग्राम हुआ; जिसमें महाराजा के दो लड़के मारे गये। बुढ़ापे में जसवन्तसिंह को यही गहरी चोट लगी। बहुत दुःखी होकर वहां से पेशावर चले गये।
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Fiction, Novel
GOdan By Munshi Premchand (Hardcover)
गोदान उपन्यास प्रेमचंद का अंतिम और सबसे महत्त्वपूर्ण उपन्यास माना जाता है। प्रेमचंद ने गोदान को 1932 में लिखना शुरू किया था और 1936 में प्रकाशित करवाया था। 1936 में प्रकाशित गोदान उपन्यास को हिन्दी ग्रन्थ रत्नाकर कार्यालय बम्बई द्वारा किया गया था । संसार की शायद ही कोई भाषा होगी, जिसमे गोदान का अनुवाद न हुआ हो । प्रेमचंद का गोदान,किसान जीवन के संघर्ष एवं वेदना को अभिव्यक्त करने वाली सबसे महत्त्वपूर्ण रचना है। यह प्रेमचंद की आकस्मिक रचना नहीं है, उनके जीवन भर के लेखन प्रयासों का निष्कर्ष है। यह रचना और भी तब महत्त्वपूर्ण बन जाती है, जब प्रेमचंद भारत के ऐसे कालखंड का वर्णन करते है, जिसमे सामंती समाज के अंग किसान और ज़मींदार दोनों ही मिट रहे है और पूंजीवादी समाज के मज़दूर तथा उद्योगपति उनकी जगह ले रहे है। गोदान, ग्रामीण जीवन और कृषक संस्कृति का महाकाव्य कहा जा सकता है। ग्रामीण जीवन का इतना वास्तविक, व्यापक और प्रभावशाली चित्रण, हिन्दी साहित्य के किसी अन्य उपन्यास में नहीं हुआ है।
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Fiction, Novel
Gaban By Munshi Premchand (Hardcover)
गबन प्रेमचंद द्वारा रचित उपन्यास है। ‘निर्मला’ के बाद ‘गबन’ प्रेमचंद का दूसरा यथार्थवादी उपन्यास है। कहना चाहिए कि यह उसके विकास की अगली कड़ी है। ग़बन का मूल विषय है- ‘महिलाओं का पति के जीवन पर प्रभाव’ । ग़बन प्रेमचन्द के एक विशेष चिन्ताकुल विषय से सम्बन्धित उपन्यास है। यह विषय है, गहनों के प्रति पत्नी के लगाव का पति के जीवन पर प्रभाव। गबन में टूटते मूल्यों के अंधेरे में भटकते मध्यवर्ग का वास्तविक चित्रण किया गया। इन्होंने समझौतापरस्त और महत्वाकांक्षा से पूर्ण मनोवृत्ति तथा पुलिस के चरित्र को बेबाकी से प्रस्तुत करते हुए कहानी को जीवंत बना दिया गया है। इस उपन्यास में प्रेमचंद ने पहली नारी समस्या को व्यापक भारतीय परिप्रेक्ष्य में रखकर देखा है और उसे तत्कालीन भारतीय स्वाधीनता आंदोलन से जोड़कर देखा है। सामाजिक जीवन और कथा-साहित्य के लिए यह एक नई दिशा की ओर संकेत करता है। यह उपन्यास जीवन की असलियत की छानबीन अधिक गहराई से करता है, भ्रम को तोड़ता है। नए रास्ते तलाशने के लिए पाठक को नई प्रेरणा देता है।
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Music
Avanaddha Vadya Sidhaant Evan Vaadan Parampara By Dr. Mahendra Prasad Sharma (Hindi) (Hardcover)
MusicAvanaddha Vadya Sidhaant Evan Vaadan Parampara By Dr. Mahendra Prasad Sharma (Hindi) (Hardcover)
Author introduction Name- Dr. Mahendra Prasad Sharma “Bambam” Place of Birth Varanasi High School, Education Elementary Education, High Intermediate Examination Varanasi. B. Work.- Kashi Hindu University, Varanasi (1986) 1 Sangeet Prabhakar, Sangeet Praveen Prayag Sangeet Samiti, Allahabad (First Class). MA (Tallala) Indira Kala Sangeet Vishwavidyalaya Khairagarh, Chhattisgarh First Class (1995). Ph.D. (2003) and NET exam passed (1998) on the subject of analytical study of classical theory of stringed instruments and their playing tradition. Achievements Radio Approved Artist Selected in Panel of Tabla Teacher cum Performer of ICCR, New Delhi Artist Work Experience of Various Universities, Examiner of Music Educational Institutions, Paper Center. Certiacate course in computer application (Software)- Adlt.. Adu. Pu. Chandigarh, Tabla accompaniment and independent Tabla playing work with leading artists of the country. Academics Worked as tabla accompanist in Basant Kanya Mahavidyalaya, Varanasi (Sept 87 Oct 88). Presently working as Tabla Accompanist since 1989 at Faculty of Music, Panjab University, Chandigarh.
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Music
Sangeet Abhilasha By Dr. Malvinder Singh (Hindi) (Hardcover)
This book written by Dr. Malvinder Singh and based on music.This book, the information about Ram Parichay and Dura Khyan Ko Bandisha has been given under the Sangeeta Kiman Paksha of the students. The basic premise of this book is to introduce music fundamentals to each class of student. These creations will prove to be fluid and very useful for the students. Proper coordination of literary elements has been taken care of in these expressions. In the beginning of chapter, phonetic knowledge and people have been discussed for the students. Various sizes have been given in different locks. By practicing these, the sound of ‘Ha’ can be given an artistic form, the same authority can be gained on sound or rhythm, by which the student can develop rhythm, rhythm, production and musical beauty, which gives the power.
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Music
Classical Dances Of India By Shobha Koser (Hardcover)
Classical Dances Of India [hardcover] Koser, S [Jan 01, 2010] Readings and activities designed to help students improve their comprehension and response skills. Classroom–tested lessons include brief reading selections followed by constructed response and multiple–choice questions and thinking and writing activities. Reading Comprehension Boosters is flexible and can be used as a core or supplemental program, as test prep, or for intervention with individual students or groups.
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