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Fiction, Novel
Sati By Sarat Chandra Chattopadhyay (Hardcover)
हरीश पबना एक संभ्रांत, भला वकील है, केवल वकालत के हिसाब से ही नहीं, मनुष्यता के हिसाब से भी । अपने देश के सब प्रकार के शुभ अनुष्ठानों के साथ वह थोड़ा-बहुत संबंधित रहता है। शहर का कोई भी काम उसे अलग रखकर नहीं होता। सबेरे ‘दुर्नीति – दमन समिति’ की कार्यकारिणी सभा का एक विशेष अधिवेशन था, काम समाप्तकर घर लौटते हुए थोड़ा विलंब हो गया था। अब किसी तरह थोड़ा सा खा-पीकर अदालत पहुँचना आवश्यक है। विधवा छोटी बहन उमा पास बैठी हुई देखभाल कर रही थी कि कहीं समय की कमी से खाने-पीने में कमी न रह जाए।
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