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Anuradha By Sarat Chandra Chattopadhyay (Hardcover)


लड़की के विवाह योग्य आयु होने के सम्बन्ध में जितना भी झूठ बोला जा सकता है, उतना झूठ बोलने के बाद भी उसकी सीमा का अतिक्रमण किया जा चुका है और अब तो विवाह होने की आशा भी समाप्त चुकी है। ‘मैया री मैया! यह कैसी बात है?” से आरम्भ करके, आंखें मिचकाकर लड़की के लड़के-बच्चों की गिनती पूछने तक में अब किसी को रस नहीं मिलता। समाज में अब यह मजाक भी निरर्थक समझा जाने लगा है। ऐसी ही दशा है बेचारी अनुराधा की। और दिलचस्प बात यह है कि घटना किसी प्राचीन युग की नहीं बल्कि एकदम आधुनिक युग की है। इस आधुनिक युग में भी केवल दान- दहेज, पंचाग, जन्म-कुंड़ली और कुल-शील की जांच-पड़ताल करते-करते एसा हुआ कि अनुराधा की उम्र तेईस को पार कर गई, फिर भी उसके लिए वर नहीं मिला।

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